चेतावनी
उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है
जो सोवत है सो खोवत है, जो जागत है सो पावत है
अब नींद से अँखियाँ खोल जरा, ओ बेसुध प्रभु से ध्यान लगा
यह प्रीति करन की रीति नहीं, सब जागत है तू सोवत है
नादान, भुगत करनी अपनी, ओ पापी पाप में चैन कहाँ
जब पाप की गठरी सीस धरी, फिर सीस पकड़ क्यों रोवत है
जो कल करना, आज ही कर ले, करना जो आज अभी कर ले
चिड़िया खेती जब चुग लेगी, फिर पछताये क्या होवत है

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