हरि भजन
तूँ गा ले प्रभु के गीत
दुनिया एक मुसाफिर खाना, जाना एक दिन छोड़ के
मात-पिता बंधु सुत पत्नी, सब से नाता तोड़ के
एक दिन ये सुन्दर घर तेरा मिट्टी में मिल जाएगा
तुझे अचानक ले जाने को, काल एक दिन आएगा
अब तो होश सँभालो प्यारे, व्यर्थ ही समय गँवाओ ना
हीरे जैसा नर तनु पाया, कोड़ी मोल लुटाओ ना