श्रीमद्भगवद्गीता
श्री कृष्णार्जुन संवाद दिव्य, गीता ने हमें प्रदान किया
कालजयी यह ग्रंथ सभी धर्मों को समन्वित ज्ञान दिया
हर देश परिस्थिति में रचना, मानव को मार्ग दिखाती है
सर्वोत्कृष्ट यह ऐसी कृति, जो सदा प्रेरणा देती है
निन्दा, स्तुति, मानापमान, जो द्वन्द्व मचायें जीवन में
दुविधा में जब भी पड़ें कभी, जायें गीता के आश्रय में
जो गुणातीत हो, योग-क्षेम भगवान् स्वयं करते उसका
स्वाध्याय करें हम गीता का, दर्शन यह मानव के हित का
जो कार्य करें हम जीवन में, वह प्रभु को सदा समर्पित हो
किंचित न कामना फल की हो, बुद्धि संकल्पित स्थिर हो
सुख-दुख हो चाहे हानि लाभ, सम भाव रहें, निश्चल मन हो
शास्त्रानुसार निर्दिष्ट कर्म, निस्संग रूप में हम से हो  

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