वसंतोत्सव
पुलकित मलय-पवन मंथर गति, ऋतु बसंत मन भाये
मधुप-पुंज-गुंजित कल-कोकिल कूजित हर्ष बढ़ाये
चंदन चर्चित श्याम कलेवर पीत वसन लहराये
रंग बसंती साड़ी में, श्री राधा सरस सुहाये
भाव-लीन अनुपम छबिशाली, रूप धरे नँद-नंदन
घिरे हुवे गोपीजन से वे क्रीड़ा रत मन-रंजन
गोप-वधू पंचम के ऊँचे स्वर में गीत सुनाती
रसनिधि मुख-सरसिज को इकटक निरख रहीं मदमाती
मधुऋतु में करते विहार हरि, कालिंदी-तट-पावन
राधा रूप निहारे मोहन, मुखरित है वृन्दावन
राधा कितनी सौम्य सुधामय, कहते श्री मधुसूदन
स्किन्ध कपोल गुलाल लगाये, हरि करते परिरम्भन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *