अमिट प्रारब्ध
प्रारब्ध मिटा कोई न सके
अपमान अयश या जीत हार, भाग्यानुसार निश्चित आते
व्यापारिक घाटा, रोग मृत्यु, इनको हम रोक नहीं पाते
विपरीत परिस्थिति आने पर, सत्संग, भजन हो शांति रहे
चित में विक्षेप नहीं आये, दृढ़ता व धैर्य से विपद् सहे
सुख-दुख तो आते जाते हैं, उनके प्रति समता हो मन में
उपदेश दिव्य यह ऐसा जो कि प्राप्त हमें है गीता में