शरणागति
प्रभु की अपार माया, जिसने जगत् रचाया
सुख दुःख का नजारा, कहीं धूप कहीं छाँया
अद्भुत ये सृष्टि जिसको, सब साज से सजाया
ऋषि मुनि या देव कोई, अब तक न पार पाया
सब ही भटक रहे है, दुस्तर है ऐसी माया
मुझको प्रभु बचालो, मैं हूँ शरण में आया
शरणागति
प्रभु की अपार माया, जिसने जगत् रचाया
सुख दुःख का नजारा, कहीं धूप कहीं छाँया
अद्भुत ये सृष्टि जिसको, सब साज से सजाया
ऋषि मुनि या देव कोई, अब तक न पार पाया
सब ही भटक रहे है, दुस्तर है ऐसी माया
मुझको प्रभु बचालो, मैं हूँ शरण में आया