पितृ-श्राद्ध
पितरों का श्राद्ध अवश्य करें
श्रद्धा से करे जो पुत्र पौत्र, वे पितरों को सन्तुष्ट करें
जो देव रुद्र आदित्य वसु, निज ज्ञान-शक्ति के द्वारा ही
किस योनी में उत्पन्न कहाँ, कोई देव जानते निश्चय ही
ये श्राद्ध वस्तु देहानुरूप, दे देते हैं उन पितरों को
विधि पूर्वक होता श्राद्ध कर्म, आशीष सुलभ सन्तानों को
हरि-कीर्तन एवं पिण्ड दान भी इसी भाँति श्रेयस्कर है
हों उऋण सुखी हम पितरों से, परिवार हेतु आवश्यक है