शिव आरती – महादेव
ॐ हर हर हर महादेव
जय नटराज, महेश्वर, महाकाल, शम्भो
आदि, अखण्ड, अगोचर, त्रिगुणातीत विभो
विश्वनाथ त्रिपुरारी, हे ओंकार स्वरूप
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव तीनों एक ही रूप
पर ब्रह्म, परमेश्वर, गंगाधर, गणनाथ
सत्-चित्-आनन्द सुन्दर, पशुपति भोलेनाथ
दक्ष-यज्ञ विध्वंसक, मदन नाश करता
कोटि सूर्य सम आभा, सौम्य रूप धरता
चिता भस्म तन राजत, बाघम्बर सोहे
अष्ट सिद्धियाँ नाचत, त्रिभुवन मन मोहे
पन्नग हार सुशोभित, तीन नयन अभिराम
वृषभ ध्वजा पे राजत, अतुलित छबि के धाम
धवल कांति अंगों की, बालचन्द्र युत भाल
गिरि-कैलाश विराजै, नीलकण्ठ मुँड माल
आरति करें तुम्हारी गिरिजापति महेश
अलख निरंजन निर्गुण हरो ताप, भय, क्लेश