तत्व चिन्तन
जो पाँच तत्व से देह बनी, वह नाशवान ऐसा जानो
जीना मरना तो साथ लगा, एक तथ्य यही जो पहचानो
परमात्मा ही चेतन स्वरूप और जीव अंश उसका ही है
सच्चिदानंद दोनों ही तो, निर्गुण वर्णन इसका ही है
जैसे की सींप में रजत दिखे, मृगतृष्णा जल होता न सत्य
सम्पूर्ण जगत् ही मिथ्या है, माया का जादू जो असत्य