तत्व चिंतन
जो कुछ है वह परमेश्वर है वे जगत् रूप प्रकृति माया
यदि साक्षी भाव से चिंतन हो मेरा पन तो केवल छाँया
हम करें समर्पण अपने को, उन परमपिता के चरणों में
और करें तत्व का जो विचार, सद्मार्ग सुलभ हो तभी हमें
जो तत्व मसि का महावाक्य ‘वह तूँ है’ उनके सिवा नहीं
ये ही तो आत्मनिवेदन है, तब जन्म मरण छुट जाय वहीं