दुष्टों का संग
दुष्टों का संग न कभी करें
आचार जहाँ हो निंदनीय, मन में वह कलुषित भाव भरें
दुष्कर्मी का जहँ संग रहे, सद्गुण की वहाँ न चर्चा हो
क्रोधित हो जाता व्यक्ति तभी, विपरीत परिस्थिति पैदा हो
होता अभाव सद्बुद्धि का, मानवता वहाँ न टिक पाती
अभिशप्त न हो मानव जीवन, अनुकम्पा प्रभु की जब होती