वृद्धा अवस्था
बुढ़ापा बैरी, तूँ क्यों करे टकोर
यौवन में जो साथ रहे, वे स्नेही बने कठोर
जीर्ण हो गया अब तन सारा, रोग व दर्द सताते
गई शक्ति बोलो कुछ भी तो, ध्यान कोई ना देते
चेत चेत रे मनवा अब तो, छोड़ सभी भोगों को
राम-कृष्ण का भजन किये बिन, ठोर नहीं हैं तुझको