नाम स्मरण
भजले प्यारे हरि का नाम, इसमें लगे न कुछ भी दाम
कर न बुराई कभी किसी की, जप ले मन से हरि का नाम
नयनों से दर्शन हो हरि का, सुनों कान से प्रभु का गान
करो तीर्थ सेवन पैरों से, करो हाथ से समुचित दान
मन बुद्धि श्रद्धा से प्यारे, होय नित्य ही हरि का ध्यान
एकमात्र साधन यह कलि में, शास्त्र संत का यही विधान