स्तुति
भगवान् कृष्ण के चरणों में, मैं करूँ वंदना बारंबार
जो प्राणि-मात्र के आश्रय हैं, भक्तों के कष्ट वही हरतें
ब्रह्मादि देव के भी स्वामी, मैं करूँ प्रार्थना बारंबार
जो आदि अजन्मा भी यद्यपि हैं, पर विविध रूप धारण करते
पृथ्वी पर लीलाएँ करते, मैं करूँ स्तवन बारंबार
जब संकट से हम घिर जाते, करूणानिधि ही रक्षा करते
उन के पूजन से दु:ख कटे, मैं करूँ अर्चना बारंबार
जो परम तेज, जो परम ब्रह्म, अज्ञान पाप को वे हरते
स्वामी त्रिलोक के वासुदेव, मैं करूँ वंदना बारंबार