नर्मदा आरती
आरती रेवा की कीजै, अमृत-पय मन भर पी लीजै
साधु संतों की प्रियकारी, सुभग सौभाग्य कीर्तिवारी
नर्मदे बहती करि हर हर, सुधा सम जल में नित भीजै
दरस से दुख दुष्कृत काटो, अमृत-रस भक्तों को बाँटो
सतत यमदूतों को डाँटो, शरण चरणों की माँ दीजै
शम्भु की पुत्री सुकुमारी, जननि गिरिजा की अति प्यारी
विंध्य-सुता मेकल सिर धारी, कृपा बिनु जीवन यह छीजै
जननि तव महिमा को गाऊँ, मनोहर मूरति नित ध्याऊँ
पाद-पद्मों में सिर नाऊँ, हमें माँ अपनो करि लीजै आरती….