यशोदा के लाल
यशोदा कैसो लाला जायो
कोई कहे कुसुम अलसी सम, अन्जन अपर बतायो
कोई दुर्वा-वन सम शोभा, उत्पल द्युति कहि गायो
कोई कहे जनम नहिं याको, छिपि मधुबन तें आयो
कोई कहे ब्रह्मा को बाबा, वेदहु भेद न पायो
कैसो कहे कहत सकुचावत, नहिं हम दरशन पायो
गोविन्द गोकुल कुँवर गोपपति, गोपीश्वर कहलायो
कहा कहूँ कछु कहत न आवै, चरण कमल सिर नायो