वृन्दावन महिमा
वृन्दावन की महिमा अपार, ऋषि मुनि देव सब गाते हैं
यहाँ फल फूलों से लदे वृक्ष, है विपुल वनस्पति और घास
यह गोप गोपियों गौओं का प्यारा नैसर्गिक सुख निवास
अपने मुख से श्रीकृष्ण यहाँ, बंशी में भरते मीठा स्वर
तो देव देवियाँ नर नारी, आलाप सुनें तन्मय होकर
सब गोपीजन को संग लिये, भगवान् कृष्ण ने रास किया
थी शरद् पूर्णिमा की रजनी, सबको हरि ने आह्लाद किया
श्रीकृष्ण-चरण से यह चिङ्घित, वृन्दावन मन में मोद भरे
वैकुण्ठ लोक तक पृथ्वी की, कीर्ति का यह विस्तार करे