युगल स्वरूप झाँकी
वन्दौं श्री राधाचरन, पावन परम उदार
भय विषाद अज्ञानहर, प्रेम भक्ति दातार
रास-बिहारिनि राधिका, रासेश्वर नँद-लाल
ठाढ़े सुंदरतम परम, मंडल रास रसाल
मधुर अधर मुरली धरे, ठाढ़े स्याम त्रिभंग
राधा उर उमग्यौ सु-रस रोमांचित अँग-अंग
विश्वविमोहिनी श्याम की, मनमोहिनि रसधाम
श्याम चित्त उन्मादिनी, राधा नित्य ललाम
परम प्रेम-आनंदमय, दिव्य जुगल रस-रूप
कालिंदी-तट कदँब-तल, सुषमा अमित अनूप
सुधा-मधुर-सौंदर्य निधि, छलकि रहे अँग-अँग
उठत ललित पलपल विपुल, नव नव रूप तरंग
स्याम स्वामिनी राधिके! करौ कृपा को दान
सुनत रहैं मुरली मधुर, मधुमय बानी कान
करौ कृपा श्री राधिका! बिनवौं बारम्बार
बनी रहे स्मृति मधुर, मंगलमय सुखसार