शरणागति
तुमि बंधु, तुमि नाथ, निशिदिन तुमि आमार
तुमि सुख, तुमि शान्ति, तुमि हे अमृत पाथार
तुमिइ तो आनन्दलोक, जुड़ाओ प्राण नाशो शोक
ताप हरण तोमार चरण, असीम शरण दीन जनार 

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