तुलसी महिमा
तुलसी महारानी को प्रणाम
पटरानी ये ही श्री हरि की, जो अद्वितीय लोकाभिराम
शालीग्राम के शीश चढ़े वे, हरि अर्चन इनसे ही हो
सुख शांति स्वास्थ्य भी दे हमको, जब श्रद्धा से जल सिंचन हो
जो भोग लगे नारायण को, तुलसी के बिना नहीं स्वीकारे
महिमा अपार तुलसीजी की, माँ भक्ति दान दो, पाप जरे