विनय
टेर सुनो ब्रज राज दुलारे
दीन-मलीन हीन सुभ गुण सों, आन पर्यो हूँ द्वार तिहारे
काम, क्रोध अरु कपट, लोभ, मद, छूटत नहिं प्राण ते पियारे
भ्रमत रह्यो इन संग विषय में, ‘सूरदास’ तव चरण बिसारे
विनय
टेर सुनो ब्रज राज दुलारे
दीन-मलीन हीन सुभ गुण सों, आन पर्यो हूँ द्वार तिहारे
काम, क्रोध अरु कपट, लोभ, मद, छूटत नहिं प्राण ते पियारे
भ्रमत रह्यो इन संग विषय में, ‘सूरदास’ तव चरण बिसारे