होली
तन मन पे मनहर ने रंग दियो डार
गात सखी पल भर में मेरा भिगोया, चीर दियो फार
पीछे से छुपके आये और लियो प्यार
मैं क्या से क्या हो गई, वो कुछ न सकी जान
नैनो में नैन डाल, लूट लियो प्रान
होली फिर गाने लगा, हृदय का तार
हाथों में रंग रहा, मैं न सकी डार
लीनों गुलाल कान्ह, मो पे दियो डार
कान्हा को हाय! सखी, मैं न सकी टार
मैंने पिचकारी भरी, श्याम गये भाग
उन के इस ढंग से सखी, दिल में लगी आग
मोहन से हाय! सखी मैं तो गई हार
रंग दियो डार, मेरे तन मन पे मनहर ने रंग दियो डार
श्याम के रंग रंग गई, प्रीति को नहीं पार