यशोदा का स्नेह
सुत-मुख देखि जसोदा फूली
हरषित देखि दूध की दंतुली, प्रेम-मगन तन की सुधि भूली
बाहिर तें तब नन्द बुलाए, देखौं धौ सुन्दर सुखदाई
तनक-तनक-सी दूध दँतुलियाँ, देखौ, नैन सफल कारौं आई
आनँद सहित महर तब आये, मुख चितवत दोउ नैन अघाई
‘सूर’ स्याम किलकत द्विज देखे, लगै कमल पे बिज्जु छाई