श्याम की ठगौरी
स्याम ने कहा ठगोरी डारी
बिसरे धरम-करम, कुल-परिजन, लोक साज गई सारी
गई हुती मैं जमुना तट पर, जल भरिबे लै मटकी
देखत स्याम कमल-दल-लोचन, दृष्टि तुरत ही अटकी
मो तन मुरि मुसुकाए मनसिज, मोहन नंद-किसोर
तेहि छिन चोरि लियौ मन सरबस, परम चतुर चित-चोर