श्याम से प्रीति
स्याम मैं तो थाँरे रँग राती
औराँ के पिय परदेस बसत हैं, लिख लिख भेजे पाती
मेरा पिया मेरे हिरदे बसत है, याद करूँ दिन राती
भगवा चोला पहिर सखीरी, मैं झुरमट रमवा जाती
झुरमुट मे मोहिं मोहन मिलिया, उण से नहिं सरमाती
और सखी मद पी पी माती, बिन पिये मैं मदमाती
प्रेम भट्ठी को मद पीयो ‘मीराँ’, छकी फिरै दिन राती