दर्शन की चाह
श्याम! मैं कैसे दर्शन पाऊँ
दर्शन की उत्कट अभिलाषा और कहीं ना जाऊँ
पूजा-विधि भलीभाँति न जानूँ कैसे तुम्हें रिझाऊँ
माखन मिश्री का मैं प्रतिदिन, क्या मैं भोग लगाऊँ
गोपीजन-सा भाव न मुझमें, कैसे प्रीति बढ़ाऊँ
श्री राधा से प्रीति अनूठी, उनके गीत सुनाऊँ
तुम्हीं श्याम बतलाओ मुझको, क्या मैं भेंट चढ़ाऊँ
सारा खेल जगत् में तेरा, दर्शन किस विधि पाऊँ