बंसी
राधे रानी दे डारो नी बाँसुरी मोरी
जो बंशी में मोरे प्राण बसत है, सो बंशी गई चोरी
काहे से गाऊँ प्यारी काहे से बजाऊँ, काहे से लाऊँ गैया घेरी
मुखड़ा से गाओ कान्हा हाथ से बजाओ, लकुटी से लाओ गैया घेरी
हा हा करत तेरी पइयाँ पड़त हूँ, तरस खाओ री प्यारी मोरी
‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, बहुत खिझाई राधा गोरी