औढरदानी शिव
शिवशंकर से जो भी माँगे, वर देते उसको ही वैसा
औढरदानी प्रभु आशुतोष, दूजा न देव कोई ऐसा
कर दिया भस्म तो कामदेव, पर वर प्रदान करते रति को
वे व्यक्ति भटकते ही रहते, जो नहीं पूजते शंकर को
काशी में करे जो देह त्याग, निश्चित ही मुक्त वे हो जाते
महादेव अनुग्रह हो जिस पर, मनवांछित फल को वे पाते