शिव स्तवन
सत्संग करे जो जीवन में, हो जाये बेड़ा पार
काशी जाये मधुरा जाये, चाहे न्हाय हरिद्वार
चार धाम यात्रा कर आये, मन में रहा विकार
बिन सत्संग ज्ञान नहीं उपजे, हो चाहे यत्न हजार
‘ब्रह्मानंद’ मिले जो सदगुरु, हो अवश्य उद्धार
शिव स्तवन
सत्संग करे जो जीवन में, हो जाये बेड़ा पार
काशी जाये मधुरा जाये, चाहे न्हाय हरिद्वार
चार धाम यात्रा कर आये, मन में रहा विकार
बिन सत्संग ज्ञान नहीं उपजे, हो चाहे यत्न हजार
‘ब्रह्मानंद’ मिले जो सदगुरु, हो अवश्य उद्धार