नटखट कन्हैया
सखी री! अति नटखट नंद-किसोर
करत छेड़खानी वह हमसों, सुनत न नैंकु निहोर
मैया को अति लाड़-लड़ैतो, भयो बड़ो मुँहजोर
घर में पैठि चुरावैं माखन, दैत मटुकिया फोर
जमुना-तट जा चीर चुरावै, मग में घट दे तोर
ऐसे कौतुक करत तदपि सखि, चलत न मन सों जोर
चीर-छीर की कहा चलै इन, लियो हियो ही चोर
सब विधि भई सखी! हम याकी, याही के कर डोर