सदाशिव महिमा
सदाशिव भोलेनाथ कहाये
आशुतोष भयहारी शम्भो, महिमा ॠषि-मुनि गाये
शरणागत जो करे याचना, वह निहाल हो जाये
औढरदानी विरुद तिहारो, अन्य देव सकुचाये
वर देकर विचित्र संकट में, अपने को उलझाये
भस्मासुर बाणासुर से श्री हरि निस्तार कराये
तीन नयन, सर्पों की माला, चिता भस्म लपटाये
अशुभ वेष धारण तुम कीन्हों, तो भी शिव कहलाये
प्रेत, पिशाच और भूतों के, सँग में आनँद पाये
कर त्रिशूल, कटि में बाघम्बर, जटा गंग लहराये
अति उदार, अत्यन्त कृपालू, विष को भी पी जाये
कामदेव का मर्दन करके, रति को वर दे जाये
जो जन प्राण तजे काशी में, वही मोक्ष-गति पाये
सत्-चित्-आनन्द, अलख-निरंजन, दुर्गति, दुःख भगाये
आक, धतूरा, बिल्व-पत्र, जल को जो तुम्हें चढ़ाये
वामदेव पूजा प्रणाम से, तदनुकूल हो जाये