राम कृष्ण चरित्र
राम कृष्ण कहिये उठि भोर
श्री राम तो धनुष धरे हैं, श्री कृष्ण हैं माखन चोर
उनके छत्र चँवर सिंहासन, भरत, शत्रुघन, लक्ष्मण जोर
इनके लकुट मुकुट पीतांबर, नित गैयन सँग नंद-किशोर
उन सागर में सिला तराई, इन राख्यो गिरि नख की कोर
‘नंददास’ प्रभु सब तजि भजिए, जैसे निरखत चंद चकोर