शक्ति रुपिणी राधा
राधा मूल-शक्ति अवतार
प्रेम वही, पुरषार्थ वही है, वही सृष्टि-विस्तार
परम ज्योति उतरी बरसाना, महिमा अपरम्पार
सेवाधाम बना वृन्दावन, लीला मधुर अपार
सरल-सरस जीवन अति प्रमुदित, कैसा मृदु-व्यवहार
राधा-प्रेरित कान्हा द्वारा, हुआ जगत् उद्धार