श्याम से लगन
प्यारे मोहन भटक न जाऊँ
तुम ही हो सर्वस्व श्याम, मैं तुम में ही रम जाऊँ
जब तक जिऊँ तुम्हारे ही हरि! अद्भुत गुण मैं गाऊँ
गा-गा गुण गौरव तब मन में, सदा सदा सरसाऊँ
भूल भरा हूँ नित्यनाथ! मैं तुमसे यही मनाऊँ
सदा प्रेरणा करना ऐसी, तुम्हें न कभी भुलाऊँ
तुम्हने दी है लगन नाथ! तो यह मन कहाँ लगाऊँ
कण कण में तुमको निहार, बस तुम पर प्राण लुटाऊँ