श्री राधा प्राकट्य
प्रगटी अनूप रूप, वृषभानु की दुलारी
राधा शुचि मधुर-मधुर, कीर्तिदा-कुमारी
चंद्र-वदन रूप सौम्य, दोऊ कर-कमल मधुर
विशद नयन-कमल मधुर, आनँद विस्तारी
अरुन चरन-पद्म सदृश, भौंह मधुर भाव मधुर
अधरनि मुसकान मधुर, सरवस बलिहारी
आए तहँ दरसन हित, शिव, ऋषि व्रतधारी
रासेश्वरि श्री राधा के, कान्हा की प्यारी