वामन अवतार
प्रगटे श्री वामन अवतार
निरख अदिति मुख करत प्रशंसा, जगजीवन आधार
तन श्याम पीत-पट राजत, शोभित है भुज चार
कुण्डल मुकुट कंठ कौस्तुभ-मणि, अरु भृगुरेखा सार
देखि वदन आनंदित सुर-मुनि, जय-जय निगम उचार
‘गोविंददास’ हरि वामन होके, ठाड़े बलि के द्वार