पविरह व्यथा
प्रभुजी थें तो चला गया, म्हारा से प्रीत लगाय
छोड़ गया बिस्वास हिय में, प्रेम की बाती जलाय
विरह जलधि में छोड़ गया थें, नेह की नाव चलाय
‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, तुम बिन रह्यो न जाय
पविरह व्यथा
प्रभुजी थें तो चला गया, म्हारा से प्रीत लगाय
छोड़ गया बिस्वास हिय में, प्रेम की बाती जलाय
विरह जलधि में छोड़ गया थें, नेह की नाव चलाय
‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, तुम बिन रह्यो न जाय