भगवान बुद्ध
पशु-हिंसा का हो गया अन्त, भगवान बुद्ध अवतरित हुए
लख यज्ञ कर्म में पशु-वध को, अन्याय घोर प्रभु द्रवित हुए
वे कृपा सिन्धु करुणानिधि थे, वैराग्यवान् जो बुद्ध हुए
राजा शुद्धोधन की रानी, मायादेवी से जन्म लिया
सोचा पशु का वध क्रूर कर्म, जड़ता को तत्पर दूर किया
पशु-हिंसा द्वारा यज्ञों से, हो पूर्ण कामना तुच्छ भाव
अज्ञान-दोष से मुक्त किया, पशु-वध था केवल हीन भाव
वे तपोलीन महायोगी थे, पद्मासन में ध्यानस्थ रहें
पशुओं को जीवन दान दिया, हिंसा में व्यर्थ ही रक्त बहे