समर्पण
पग घुँघरू बाँध मीरा नाची रे
मैं तो मेरे नारायण की, आपहिं हो गई दासी रे
लोग कहे मीराँ भई बावरी, न्यात कहे कुलनासी रे
विष को प्याला राणाजी भेज्यो, पीवत मीराँ हाँसी रे
‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, हरि चरणाँ की दासी रे
समर्पण
पग घुँघरू बाँध मीरा नाची रे
मैं तो मेरे नारायण की, आपहिं हो गई दासी रे
लोग कहे मीराँ भई बावरी, न्यात कहे कुलनासी रे
विष को प्याला राणाजी भेज्यो, पीवत मीराँ हाँसी रे
‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, हरि चरणाँ की दासी रे