ॐ वन्दना
ॐ के गायें सब मिल गीत
सकल सृष्टि आधार प्रणव है, धर्म कर्म का सार यही है
कण-कण इसमें, यह कण कण में, निराकार साकार यही है
सच्चिदानंदघन भी ये ही है, वेदों का भी जनक यही है
गायें गीत ॐ के जो जन, मन वांछित फल पाता है
जन्म मरण चक्कर से छूटे, भवसागर से तर जाता है