यमलार्जुन उद्धार
निरखि स्याम हलधर मुसुकाने
को बाँधै, को छोरै इन कौं, यह महिमा येई पै जाने
उत्पति, प्रलय करत हैं जेई, सेष सहस मुख सुजस बखाने
जमलार्जुन –तरु तोरि उधारन, पारन करन आपु मन माने
असुर सँहारन, भक्तनि तारन, पावन पतित कहावत बाने
‘सूरदास’ प्रभु भाव-भक्ति के, अति हित जसुमति हाथ बिकाने