श्री कृष्ण प्राकट्य
नन्द घर आज भयो आनन्द
मातु यशोदा लाला जायो, ज्यों पूनों ने चन्द
गोपी गोप गाय गायक-गन, सब हिय सरसिज वृन्द
नन्दनँदन रवि उदित भये हिय, विकसे पंकज वृन्द
वसुधा मुदित समीर बहत वर, शीतल मन्द सुगन्ध
गरजत मन्द मन्द घन नभ महँ, प्रकटे आनँद कन्द
माया बन्धु सिन्धु सब सुख के, स्वयं सच्चिदानन्द
‘प्रभु’ के प्रभु विभु विश्वविदित वर, काटैं यम के फन्द