झूला
मोहनलाल पालने झूलैं, जसुमति मात झुलावे हो
निरिख निरखि मुख कमल नैन को, बाल चरित जस गावे हो
कबहुँक सुरँग खिलौना ले ले, नाना भाँति खिलाये हो
चुटकी दे दे लाड़ लड़ावै, अरु करताल बजाये हो
पुत्र सनेह चुचात पयोधर, आनँद उर न समाये हो
चिरजीवौ सुत नंद महर को, ‘सूरदास’ हर्षाये हो