शरणागति
मेरी सुधि लीजौ हे ब्रजराज
और नहीं जग में कोउ मेरौ, तुमहिं सुधारो काज
गनिका, गीध, अजामिल तारे, सबरी और गजराज
‘सूर’ पतित पावन करि कीजै, बाहँ गहे की लाज
शरणागति
मेरी सुधि लीजौ हे ब्रजराज
और नहीं जग में कोउ मेरौ, तुमहिं सुधारो काज
गनिका, गीध, अजामिल तारे, सबरी और गजराज
‘सूर’ पतित पावन करि कीजै, बाहँ गहे की लाज