मग्न मीरा
मीराँ मगन हरि के गुण गाय
साँप-पिटारा राणा भेज्या, मीराँ हाथ दियो जाय
न्हाय धोय जब देखण लागी, सालिगराम गई पाय
जहर को प्याला राणाजी भेज्या, अमृत दियो बनाय
न्हाय धोय जब पीवण लागी, हो गई अमर अँचाय
सूल सेज राणाजी भेजी, दीज्यो मीराँ सुलाय
साँझ भई मीराँ सोवण लागी, मानो फूल बिछाय
‘मीराँ’ के प्रभु सदा सहाई, राखो विघन हटाय
भजन भाव में मगन डोलती, गिरिधर पै बलि जाय