भजन महिमा
मत कर मोह तू, हरि-भजन को मान रे
नयन दिये दरसन करने को, श्रवण दिये सुन ज्ञान रे
वदन दिया हरि गुण गाने को, हाथ दिये कर दान रे
कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, कंचन निपजत खान रे
भजन महिमा
मत कर मोह तू, हरि-भजन को मान रे
नयन दिये दरसन करने को, श्रवण दिये सुन ज्ञान रे
वदन दिया हरि गुण गाने को, हाथ दिये कर दान रे
कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, कंचन निपजत खान रे