निवेदन
मेरे जीवन धन नंदलाल
तुम बिनु मेरे प्राणनाथ! ये तन मन बहुत विहाल
तरसहिं नयन दरस को निसिदिन, लागहिं भोग बवाल
इसी भाँति सब वयस बिताई, मिले ने तुम गोपाल
कहा करों, कोउ पन्थ न सूझत, कैसे मिलि हो लाल
मेरे जीवन के जीवन तुम, तुम बिनु सब जंजाल
कहा तिहारी बान प्रानधन, तरसावहु बहु काल
एक बार हूँ दरस देहु तो, नयना होय निहाल

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