होली
मानो मानो नंदजी के लाल
चूनर, चोली भिगा दी सारी, डारो न और गुलाल
जमुना से जल भर मैं आई, तब भी करी ढिठाई
दौड़ के मोरी गगरी गिराई, कैसो कर दियो हाल
गीली चुनरिया सास लड़ेगी, ननँद साथ नहीं देगी
काहू भाँति नहीं बात बनेगी, नटखट करी कुचाल
नंदकुँवर खेली जो होरी, करी अधिक बरजोरी
एकटक निरख रहीं ब्रज बाल, आज तो कर दी उसे निहाल