सत्संग
मन राम सुमर पछतायेगा
पापी जियरा लोभ करत है, आज काल उठ जायेगा
लालच में सब जनम गँवायो, माया भरम लुभायेगा
धन जीवन का लोभ न करिये, साथ न कुछ भी जायेगा
धरम राज जब लेखा माँगे, क्या मुख उन्हें बतायेगा
कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, सत्संग से तर जायेगा