मोहन की मोहिनी
मैंने देखा यशोदा तेरा लाल, देखा देखा
कस्तूरी का तिलक बिराजे, उर पचरंगी माल
मोर मुकुट तो सिर पर सोहे, घुँघर वाले बाल
पीताम्बर को कटि में धारे, काँधे कारी शाल
कानों में तो कुण्डल सोहे, और लालिमा गाल
चरणों में नूपुर छमकाये, चले लटकनी चाल
यमुना-तट पे रास रचाये, नाचे दे दे ताल